हाय दोस्तो, मेरा नाम विक्की है, मैं पूर्वी दिल्ली में रहता हूँ। काफ़ी समय से अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़ता आ रहा हूँ।
आज आपको मैं अपनी एक वास्तविक घटना सुना रहा हूँ, आशा है कि आप लोगों को यह पसन्द आएगी।
बात उन दिनों की है जब मेरा गौना आया ही था, हमारे यहाँ शादी के बाद दो-तीन साल बाद गौना आता है।
मेरी पत्नी के साथ उसकी बड़ी बहन भी आई थी। मैं यह बता दूँ कि मेरी बीवी पाँच बहनें है तथा उसकी बड़ी बहन और मेरा चक्कर काफ़ी समय से चल रहा था।
दिन भर की भागदौड़ के बाद रात में जब सब लोग अपने कमरों में चले गये तो मैं भी अपने कमरे की तरफ़ हो लिया। कमरे में पहुँचकर देखा तो मेरी पत्नी और साली एक ही बिस्तर पर सो रही थी। मैंने अपनी साली को जगा कर उसे दूसरे कमरे में जाने के लिए कहा परंतु उसने कहा कि वह भी यही सोएगी, मेरी पत्नी भी तब तक जग चुकी थी।
मेरा दिमाग खराब सा हो गया था, मैंने अपनी साली से कहा- यार, आज हमारी सुहागरात है ! क्यों बेकार में कबाब में ह्ड्डी बन रही है?
इस पर साली ने कहा- क्यों ? क्या मैं इतनी बेकार हूँ कि यहाँ नहीं रुक सकती?
मैंने उससे कहा- मुझे कोई एतराज़ नहीं है परन्तु तुम्हारे रहते तुम्हारी बहन के साथ मैं कुछ कर नहीं पाऊँगा !
इस पर साली ने कहा- क्यों मेरे रहते तुम्हारा लन्ड खड़ा नहीं होगा क्या? दो-दो को देख़ कर गान्ड फ़ट गई, या दोनों को एक साथ झेलने की हिम्मत नहीं है?
मैंने कहा- मेरा लन्ड तो कमरे में घुसने से पहले ही खड़ा हो गया था, परन्तु क्या तुम्हारे सामने तुम्हारी बहन का मन कुछ करने को करेगा? और रही बात दोनों को झेलने की तो दोनों को इतना चोदूँगा रात भर कि दोनों की दोनों सुबह उठने लायक नहीं रहोगी।
इस पर मेरी पत्नी बोली- क्यों इसमें क्या बुराई है? हम दोनों को एक दूसरे की सब बात मालूम रहती हैं, हम आपस में कुछ भी नहीं छुपाते, मुझे तुम्हारी और सोनू (मेरी साली का नाम) की भी सब बातें मालूम हैं।
अब चौंकने की बारी मेरी थी, मैं वहीं बिस्तर पर बैठ गया और बोला- ठीक है ! जैसी तुम दोनों की मर्जी, मुझे तो फ़ायदा ही फ़ायदा है।
फ़िर मैंने अपनी पत्नी को पकड़ लिया और उसके होंठ चूमने लगा। पहले तो वो ना-नुकुर करने लगी, परन्तु सोनू के कहने पर उसने अपने आप को ढीला छोड़ दिया। काफ़ी देर तक मैं उसके होठों को चूसता रहा, उसे भी अब इस सब में मजा आने लगा था।
मैंने उनकी ब्रा उतार दी... वाऊउउउ... उसके चूचियाँ देख कर मैं तो चकित ही रह गया। छोटे छोटे सन्तरे के आकार की चूचियाँ और उसकी निप्पलों को नज़र ना लगे बिल्कुल मटर के दाने से भी छोटे। मैंने 10-15 मिनट तक चूचियों को खूब दबाया और मेरा लंड एकदम से खड़ा और कड़क हो गया था और पजामे का तम्बू बना रहा था। मैं फिर से उसकी चूचियाँ दबाने लगा और फिर उसके ऊपर चढ़ उसकी साड़ी ऊपर करके उसकी पैन्टी खींच ली और थोड़ी देर उसे देखने लगा। वाह क्या कुंआरी और चिकनी बुर थी, एक भी बाल का नामोनिशान नहीं, बिल्कुल छोटा सा गुलाबी छेद, मैंने उसकी बुर में अपनी ऊँगली डाल दी, वह जोर से चीख पडी .. आआआहहहहह... और उठ कर बिस्तर से नीचे उतर गई, और बोली- दर्द नहीं होता? मार डालोगे क्या?
इस पर सोनू बोली- जीजा जी, मीना (मेरी पत्नी का नाम) अभी कुंआरी है, थोड़ा प्यार से और आराम से काम लो।
मैंने कहा- यार, अभी तो दोनों बड़ी-बड़ी हांक रही थी कि तुम्हें दोनों मिलकर निचोड़ देंगी, अब क्या हुआ?
सोनू ने कहा- निचोड़ेंगी तो जरूर ! पर अपने हिसाब से ! मीना और मैं आज रात तुमको छोड़ने वाली नहीं हैं, पर उसका पहली बार है इस लिए थोड़ा घबरा रही है, एक काम करो पहले मुझे चोद लो ताकि वह चुदाई देख कर अच्छे से गर्म हो जाए और फ़िर वह अपने आप करने को कहेगी।
बात मेरे को भी जमी, मैंने फ़ौरन उसे अपने पास खींच लिया और उसकी चूचियाँ दबाने लगा, मेरी पत्नी वहीं पर सोफ़े पर लेट गई और हमारा खेल देखने लगी। मैंने सोनू की ब्रा उतार दी... यूँ तो मैंने उसकी चूचियों को कई बार देखा था पर आज उसमें जो कड़कपन था वो और दिन के मुकाबले अलग ही था। मैं उसकी चूचियों को चूसने में लग गया। मैंने 10-15 मिनट तक चूचियों को खूब चूसा, मेरा लंड फ़िर से खड़ा और कड़क हो गया था।
मैंने उसे बिस्तर पर लिटा लिया और उसके कपड़े खोलने शुरु कर दिए। सारे कपड़े उतारने के बाद मैंने उसकी बुर पर हाथ फ़ेरना शुरु कर दिया, उसने भी मेरा लन्ड पकड़ कर सहलाना चालू कर दिया। अपनी बीवी को इसी तरफ़ देखता देख मैंने अपनी साली की बुर में ऊँगली करना शुरु कर दिया, और मेरी साली जो अब काफ़ी हद तक गरम हो चुकी थी, वह चुदवाने को बेक़रार थी, उसने मुझसे कहा- जो भी करना है, जल्दी करो !
पर मैं उसकी चूचियों को चूसने में ही लगा हुआ था। तभी उसने मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत पर फिराने लगी। मैं समझ गया कि अब तड़पाना अच्छा नहीं है। मैं भी खड़ा हो गया और उसे पटक कर उसके ऊपर चढ़ गया। मैं धीरे-धीरे अपना लंड डालने लगा। मेरा लंड सात इंच का है। मैंने धीरे से धक्का लगाया और पूरा लंड डाल दिया। उसका मुँह खुल गया और आँख से पानी आ गया, बोली- आज क्या हो गया है तुम्हें? मार ही डालने का इरादा कर रखा है क्या?
मैंने धीरे-धीरे लगाने शुरु किए...
आआआहहहहह... ऊऊउउउम्म्म्म्म म्म्मम...
हम दोनों पहले भी तीन-चार बार चुदाई कर चुके थे परन्तु आज जैसी चुदाई का आनन्द पहले कभी नहीं आया था, काफ़ी देर तक करने के बाद मैंने उससे कहा- सब कुछ मैं ही करुँगा तो तुम क्या करोगी? और मैं उसके ऊपर से हट गया।
अब वह मेरे उपर बैठ कर अपनी बुर में मेरा लण्ड लेने लगी, पूरा सात ईन्च का लण्ड को सुपारे से टट्टो तक को दबा दबा कर चुदवा रही थी, मेरी बीवी की हालत इस तरह की हो रही थी जैसे किसी मछ्ली को गरम रेत पर छोड दिया गया हो। वह अपने हाथ से अपनी बुर को मींजे जा रही थी तथा मुंह से अजीब अजीब आवाजें आआआह... ऊऊउउउम्म्म्मम म्म्मम... आईईईईई -सीईईईईसीई..... आआआ.... निकाले जा रही थी।
उसे देख कर मेरी और सोनू की रफ़्तार में बेतहाशा तेजी आ गई, चुदाई के मारे सोनू का बुरा हाल था, अब उससे रुका नहीं जा रहा था- जीजाजी, मेरा तो बस होने वाला है, मैं गई, मैं गई ! आह्ह्हह्ह .... फ़ा.... ड़........दो.... पूरा डाल डाल कर पेलो ! आज तो बहुत खुजली हो रही है इस बुर में ! सारी खुजली मिटा दो इस बुर की।
तुम अब घोड़ी बन जाओ तो मजा आए !
ठीक है, आज सारी हसरत मिटा लो ! बाद में मत कहना कि तुम्हारी तबियत से नहीं मार पाया।
घोड़ी बनाने के बाद मैंने घुटने के बल हो कर उसकी बुर में एक बार फ़िर से अपना लण्ड घुसेड़ दिया, उसने कभी घोड़ी बन कर चुदाई नहीं करवाई थी इसलिए इस अवस्था में उसकी बुर थोड़ी कस गई थी, लण्ड अटक अटक कर जा रहा था, मुझे अब ज्यादा ताकत लगा कर उसकी बुर में डालना पड रहा था, हर धक्के पर उसकी मुँह से हल्की हल्की चीख निकल रही थी- आईईईईईई सीईईईसीई ..... आआआआ.... चोद डालो जीजा ! आज पूरी तरह से फ़ाड दो मेरी बुर को ! ऐसी फ़ाडो कि कम से कम हफ़्ते तक इसे चुदवाने की जरुरत ना पड़े ।
करीब दस-पन्द्रह मिनट के बाद मेरा भी लन्ड झड़ने को हो गया, मैंने सोनू से कहा- बस अब मेरा भी काम होने वाला है !
जीजाज़ी, बाहर मत निकालना ! अन्दर ही छोड़ दो सारा माल ! वो बोली।
आठ-दस धक्कों के बाद लन्ड की पिचकारी छुट पड़ी और सारा का सारा माल उसकी बुर में भरता चला गया। थोड़ी देर हम उसी पोजिशन में रहे, लन्ड अपने आप सुकड़ कर बाहर आ गया। वह उठी और बाथरुम में जा कर अपनी बुर को साफ़ करने लगी। पाँच मिनट बाद वो बाहर निकली तो उसके चेहरे पर सन्तुष्टि के भाव थे- जीजाजी, आज तो ऐसी मारी है कि सूज गई है ! बाप रे, अगर मीना की भी ऐसे ही मारोगे तो यह बेचारी तो शायद सुबह उठने लायक नहीं बचेगी।
हुँह, अब यह क्या मारेंगे, इनके लन्ड की हालत तो देखो, सूख कर मूंगफ़ली की तरह हो गया है ! मीना मेरे बराबर में लेटकर लन्ड हाथ में लेते हुए बोली।
उसके बाद मैंने अपनी बीवी की चुदाई कैसे की, वह अगले भाग में …..................
आज आपको मैं अपनी एक वास्तविक घटना सुना रहा हूँ, आशा है कि आप लोगों को यह पसन्द आएगी।
बात उन दिनों की है जब मेरा गौना आया ही था, हमारे यहाँ शादी के बाद दो-तीन साल बाद गौना आता है।
मेरी पत्नी के साथ उसकी बड़ी बहन भी आई थी। मैं यह बता दूँ कि मेरी बीवी पाँच बहनें है तथा उसकी बड़ी बहन और मेरा चक्कर काफ़ी समय से चल रहा था।
दिन भर की भागदौड़ के बाद रात में जब सब लोग अपने कमरों में चले गये तो मैं भी अपने कमरे की तरफ़ हो लिया। कमरे में पहुँचकर देखा तो मेरी पत्नी और साली एक ही बिस्तर पर सो रही थी। मैंने अपनी साली को जगा कर उसे दूसरे कमरे में जाने के लिए कहा परंतु उसने कहा कि वह भी यही सोएगी, मेरी पत्नी भी तब तक जग चुकी थी।
मेरा दिमाग खराब सा हो गया था, मैंने अपनी साली से कहा- यार, आज हमारी सुहागरात है ! क्यों बेकार में कबाब में ह्ड्डी बन रही है?
इस पर साली ने कहा- क्यों ? क्या मैं इतनी बेकार हूँ कि यहाँ नहीं रुक सकती?
मैंने उससे कहा- मुझे कोई एतराज़ नहीं है परन्तु तुम्हारे रहते तुम्हारी बहन के साथ मैं कुछ कर नहीं पाऊँगा !
इस पर साली ने कहा- क्यों मेरे रहते तुम्हारा लन्ड खड़ा नहीं होगा क्या? दो-दो को देख़ कर गान्ड फ़ट गई, या दोनों को एक साथ झेलने की हिम्मत नहीं है?
मैंने कहा- मेरा लन्ड तो कमरे में घुसने से पहले ही खड़ा हो गया था, परन्तु क्या तुम्हारे सामने तुम्हारी बहन का मन कुछ करने को करेगा? और रही बात दोनों को झेलने की तो दोनों को इतना चोदूँगा रात भर कि दोनों की दोनों सुबह उठने लायक नहीं रहोगी।
इस पर मेरी पत्नी बोली- क्यों इसमें क्या बुराई है? हम दोनों को एक दूसरे की सब बात मालूम रहती हैं, हम आपस में कुछ भी नहीं छुपाते, मुझे तुम्हारी और सोनू (मेरी साली का नाम) की भी सब बातें मालूम हैं।
अब चौंकने की बारी मेरी थी, मैं वहीं बिस्तर पर बैठ गया और बोला- ठीक है ! जैसी तुम दोनों की मर्जी, मुझे तो फ़ायदा ही फ़ायदा है।
फ़िर मैंने अपनी पत्नी को पकड़ लिया और उसके होंठ चूमने लगा। पहले तो वो ना-नुकुर करने लगी, परन्तु सोनू के कहने पर उसने अपने आप को ढीला छोड़ दिया। काफ़ी देर तक मैं उसके होठों को चूसता रहा, उसे भी अब इस सब में मजा आने लगा था।
मैंने उनकी ब्रा उतार दी... वाऊउउउ... उसके चूचियाँ देख कर मैं तो चकित ही रह गया। छोटे छोटे सन्तरे के आकार की चूचियाँ और उसकी निप्पलों को नज़र ना लगे बिल्कुल मटर के दाने से भी छोटे। मैंने 10-15 मिनट तक चूचियों को खूब दबाया और मेरा लंड एकदम से खड़ा और कड़क हो गया था और पजामे का तम्बू बना रहा था। मैं फिर से उसकी चूचियाँ दबाने लगा और फिर उसके ऊपर चढ़ उसकी साड़ी ऊपर करके उसकी पैन्टी खींच ली और थोड़ी देर उसे देखने लगा। वाह क्या कुंआरी और चिकनी बुर थी, एक भी बाल का नामोनिशान नहीं, बिल्कुल छोटा सा गुलाबी छेद, मैंने उसकी बुर में अपनी ऊँगली डाल दी, वह जोर से चीख पडी .. आआआहहहहह... और उठ कर बिस्तर से नीचे उतर गई, और बोली- दर्द नहीं होता? मार डालोगे क्या?
इस पर सोनू बोली- जीजा जी, मीना (मेरी पत्नी का नाम) अभी कुंआरी है, थोड़ा प्यार से और आराम से काम लो।
मैंने कहा- यार, अभी तो दोनों बड़ी-बड़ी हांक रही थी कि तुम्हें दोनों मिलकर निचोड़ देंगी, अब क्या हुआ?
सोनू ने कहा- निचोड़ेंगी तो जरूर ! पर अपने हिसाब से ! मीना और मैं आज रात तुमको छोड़ने वाली नहीं हैं, पर उसका पहली बार है इस लिए थोड़ा घबरा रही है, एक काम करो पहले मुझे चोद लो ताकि वह चुदाई देख कर अच्छे से गर्म हो जाए और फ़िर वह अपने आप करने को कहेगी।
बात मेरे को भी जमी, मैंने फ़ौरन उसे अपने पास खींच लिया और उसकी चूचियाँ दबाने लगा, मेरी पत्नी वहीं पर सोफ़े पर लेट गई और हमारा खेल देखने लगी। मैंने सोनू की ब्रा उतार दी... यूँ तो मैंने उसकी चूचियों को कई बार देखा था पर आज उसमें जो कड़कपन था वो और दिन के मुकाबले अलग ही था। मैं उसकी चूचियों को चूसने में लग गया। मैंने 10-15 मिनट तक चूचियों को खूब चूसा, मेरा लंड फ़िर से खड़ा और कड़क हो गया था।
मैंने उसे बिस्तर पर लिटा लिया और उसके कपड़े खोलने शुरु कर दिए। सारे कपड़े उतारने के बाद मैंने उसकी बुर पर हाथ फ़ेरना शुरु कर दिया, उसने भी मेरा लन्ड पकड़ कर सहलाना चालू कर दिया। अपनी बीवी को इसी तरफ़ देखता देख मैंने अपनी साली की बुर में ऊँगली करना शुरु कर दिया, और मेरी साली जो अब काफ़ी हद तक गरम हो चुकी थी, वह चुदवाने को बेक़रार थी, उसने मुझसे कहा- जो भी करना है, जल्दी करो !
पर मैं उसकी चूचियों को चूसने में ही लगा हुआ था। तभी उसने मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत पर फिराने लगी। मैं समझ गया कि अब तड़पाना अच्छा नहीं है। मैं भी खड़ा हो गया और उसे पटक कर उसके ऊपर चढ़ गया। मैं धीरे-धीरे अपना लंड डालने लगा। मेरा लंड सात इंच का है। मैंने धीरे से धक्का लगाया और पूरा लंड डाल दिया। उसका मुँह खुल गया और आँख से पानी आ गया, बोली- आज क्या हो गया है तुम्हें? मार ही डालने का इरादा कर रखा है क्या?
मैंने धीरे-धीरे लगाने शुरु किए...
आआआहहहहह... ऊऊउउउम्म्म्म्म म्म्मम...
हम दोनों पहले भी तीन-चार बार चुदाई कर चुके थे परन्तु आज जैसी चुदाई का आनन्द पहले कभी नहीं आया था, काफ़ी देर तक करने के बाद मैंने उससे कहा- सब कुछ मैं ही करुँगा तो तुम क्या करोगी? और मैं उसके ऊपर से हट गया।
अब वह मेरे उपर बैठ कर अपनी बुर में मेरा लण्ड लेने लगी, पूरा सात ईन्च का लण्ड को सुपारे से टट्टो तक को दबा दबा कर चुदवा रही थी, मेरी बीवी की हालत इस तरह की हो रही थी जैसे किसी मछ्ली को गरम रेत पर छोड दिया गया हो। वह अपने हाथ से अपनी बुर को मींजे जा रही थी तथा मुंह से अजीब अजीब आवाजें आआआह... ऊऊउउउम्म्म्मम म्म्मम... आईईईईई -सीईईईईसीई..... आआआ.... निकाले जा रही थी।
उसे देख कर मेरी और सोनू की रफ़्तार में बेतहाशा तेजी आ गई, चुदाई के मारे सोनू का बुरा हाल था, अब उससे रुका नहीं जा रहा था- जीजाजी, मेरा तो बस होने वाला है, मैं गई, मैं गई ! आह्ह्हह्ह .... फ़ा.... ड़........दो.... पूरा डाल डाल कर पेलो ! आज तो बहुत खुजली हो रही है इस बुर में ! सारी खुजली मिटा दो इस बुर की।
तुम अब घोड़ी बन जाओ तो मजा आए !
ठीक है, आज सारी हसरत मिटा लो ! बाद में मत कहना कि तुम्हारी तबियत से नहीं मार पाया।
घोड़ी बनाने के बाद मैंने घुटने के बल हो कर उसकी बुर में एक बार फ़िर से अपना लण्ड घुसेड़ दिया, उसने कभी घोड़ी बन कर चुदाई नहीं करवाई थी इसलिए इस अवस्था में उसकी बुर थोड़ी कस गई थी, लण्ड अटक अटक कर जा रहा था, मुझे अब ज्यादा ताकत लगा कर उसकी बुर में डालना पड रहा था, हर धक्के पर उसकी मुँह से हल्की हल्की चीख निकल रही थी- आईईईईईई सीईईईसीई ..... आआआआ.... चोद डालो जीजा ! आज पूरी तरह से फ़ाड दो मेरी बुर को ! ऐसी फ़ाडो कि कम से कम हफ़्ते तक इसे चुदवाने की जरुरत ना पड़े ।
करीब दस-पन्द्रह मिनट के बाद मेरा भी लन्ड झड़ने को हो गया, मैंने सोनू से कहा- बस अब मेरा भी काम होने वाला है !
जीजाज़ी, बाहर मत निकालना ! अन्दर ही छोड़ दो सारा माल ! वो बोली।
आठ-दस धक्कों के बाद लन्ड की पिचकारी छुट पड़ी और सारा का सारा माल उसकी बुर में भरता चला गया। थोड़ी देर हम उसी पोजिशन में रहे, लन्ड अपने आप सुकड़ कर बाहर आ गया। वह उठी और बाथरुम में जा कर अपनी बुर को साफ़ करने लगी। पाँच मिनट बाद वो बाहर निकली तो उसके चेहरे पर सन्तुष्टि के भाव थे- जीजाजी, आज तो ऐसी मारी है कि सूज गई है ! बाप रे, अगर मीना की भी ऐसे ही मारोगे तो यह बेचारी तो शायद सुबह उठने लायक नहीं बचेगी।
हुँह, अब यह क्या मारेंगे, इनके लन्ड की हालत तो देखो, सूख कर मूंगफ़ली की तरह हो गया है ! मीना मेरे बराबर में लेटकर लन्ड हाथ में लेते हुए बोली।
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